नेता और समाज की वास्तविकता आजकल के नेताओं ने अपने आप को गरीबों के मसीहा के रूप में प्रस्तुत करना एक प्रचलित चलन बना लिया है। यह बहुत ही विडंबनापूर्ण है कि जिन लोगों ने कभी गरीबी का अनुभव नहीं किया, वे गरीबों के उद्धारकर्ता होने का दावा करते हैं। बचपन से ही सुख-सुविधाओं में पले-बढ़े, सोने का चम्मच लेकर जन्मे इन नेताओं को गरीबों की वास्तविक समस्याओं का अहसास कैसे हो सकता है? समाज के समक्ष आज कई गंभीर मुद्दे हैं जिन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जैसे कि अर्थव्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, युवाओं का भविष्य, और स्वास्थ्य सेवाओं का विकास। इन विषयों पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए और ठोस कार्य योजनाएं बनाई जानी चाहिए। दुर्भाग्यवश, वर्तमान राजनीति में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।18 वीं लोकसभा 2024 के नवनिर्वाचित 543 सदस्यों में से 251 (46 फीसद) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। चुनाव विश्लेषण करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स’ (एडीआर) ने यह बात कही। ये लोग अपराध करने के बाद कुछ समय बाद समाज सेवक बनने का ढोंग करते हैं और समाज क...
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